वीरक

वीरक नामक एक प्राचीन स्थान का उल्लेख हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ महाभारत, कर्णपर्व में हुआ है-

'कारस्करान्माहिष्कान् कुरंडान् केरलांस्तया, ककाटकान् वीरकांश्च दुधर्मांश्च विवर्जयेत।'[1]
  • उपरोक्त उल्लेख में वर्णित जनपदों के निवासियों को महाभारत के समय दूषित समझा जाता था, क्योंकि संभवतः ये लोग अनार्य जातयों से संबधित थे।
  • प्रसंगानुसार 'वीरक' दक्षिण भारत का कोई जनपद जान पड़ता है।[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कर्णपर्व 44,43
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 866 |

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