अम्बष्ठ | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अम्बष्ठ (बहुविकल्पी) |
अम्बष्ठ हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य 'महाभारत' के उल्लेखानुसार सिन्ध के उत्तर का एक प्रजातन्त्र राज्य था, जिसे यूनानी लेखकों ने अम्बस्तई या अम्बस्तनोई लिखा है। इसका उल्लेख संस्कृत और पालि साहित्य में अनेक स्थलों पर मिलता है।
- 'अम्बस्तनोई' नाम यूनानी इतिहासकारों का दिया हुआ है। यूनानियों द्वारा संस्कृत भाषा के अम्बष्ठ को ज्यों का त्यों लिख-बोल न पाने के कारण यह नाम बदल गया।
- संस्कृत भाषा के जिन ग्रंथों में अम्बष्ठ उल्लेख मिलता है, उनमें प्रमुख हैं-
- 'ऐतरेय ब्राह्मण'
- 'महाभारत'
- 'बार्हस्पत्य अर्थशास्त्र'
- अम्बष्ठ पंजाब का प्राचीन जनपद था। 'महाभारत' में इसका उल्लेख इस प्रकार है-
'वशातय: शाल्वका: केकयाश्च तथा अम्बष्ठा ये त्रिगर्ताश्च मुख्या:[1]
- 'विष्णुपुराण' में भी अम्बष्ठों का मद्र और आराम जनपद के वासियों के साथ वर्णन है-
'माद्रारामास्तथाम्बष्ठा पारसीकादयस्तथा'[2]
- 'बार्हस्पत्य अर्थशास्त्र'[3] में अम्बष्ठों के राष्ट्र का वर्णन कश्मीर, हूण देश और सिंध के साथ है।
- अलक्षेंद्र (सिकंदर) के आक्रमण के समय अम्बष्ठनिवासियों के पास शक्तिशाली सेना थी। टॉलमी ने इनको 'अंबुटाई' कहा है।
- सिकंदर के इतिहास से संबंधित कतिपय ग्रीक और रोमन लेखकों की रचनाओं में भी अम्बष्ठ जाति का वर्णन हुआ है। दिओदोरस, कुर्तियस, जुस्तिन तथा तालेमी ने विभिन्न उच्चारणों के साथ इस शब्द का प्रयोग किया है।
- प्रारंभ में अम्बष्ठ जाति युद्धोपजीवी थी। सिकंदर के समय (327 ई. पू.) उसका एक गणतंत्र था और वह चिनाब के दक्षिणी तट पर निवास करती थी।
- आगे चलकर अम्बष्ठों ने संभवत चिकित्साशास्त्र को अपना लिया, जिसका परिज्ञान हमें 'मनुस्मृति' से होता है
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 14 |
- ↑ महाभारत उद्योग पर्व 30, 23
- ↑ विष्णुपुराण, 2,3,17
- ↑ टॉमस, पृ. 21