प्रवेणी नदी

प्रवेणी नदी का उल्लेख महाभारत, वनपर्व में हुआ है। इस नदि के निकट कण्वाश्रम की स्थिति बताई गई है।

  • इसी नदी के तट के समीप संभवत: माठर वन को स्थित बताया है।


माठरस्यवनं पुण्यं बहुमूल फलं शिवम।'[1]

'प्रवेणी प्रवेण्युत्तरमार्गे तु पुण्ये कण्वाश्रमे,
तापसानामरण्यानि कीर्तितानि यथा-श्रुति'।[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वनपर्व महाभारत 88, 10
  2. वनपर्व महाभारत 88, 11

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