द्वारपाल (पौराणिक स्थान)

Disamb2.jpg द्वारपाल एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- द्वारपाल (बहुविकल्पी)

द्वारपाल महाभारत, सभापर्व के उल्लेख के आधार पर ख़ैबर दर्रे का प्राचीन भारतीय नाम समझा जाता है। अपनी भौगोलिक संरचना के कारण द्वारपाल वास्तव में भारत का 'द्वार रक्षक' था।

'द्वारपाल च तरसा वशे चक्रे महाद्युति:, रामठान् हारहूणांश्च प्रतीच्यश्चैव ये नृपा:'[1]

नकुल की विजय

पांडव नकुल ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में उत्तर-पश्चिम दिशा के अनेक स्थानों को जीतते हुए द्वारपाल पर भी प्रभुत्व स्थापित किया था। प्रसंग से द्वारपाल, अफ़ग़ानिस्तान और भारत के बीच द्वार के रूप में स्थित खैबर दर्रें का प्राचीन भारतीय नाम जान पड़ता है। यह वास्तव में भारत का द्वार रक्षक था। इस उल्लेख से यह बात स्पष्ट है कि प्राचीन काल में भारतीयों को अपनी उत्तर-पश्चिम सीमा के इस दर्रे का महत्त्व पूरी तरह से ज्ञात था। उपर्युक्त श्लोक में 'रमठ' और 'हारहूण' अफ़ग़ानिस्तान के ही प्रदेश हैं, जिससे द्वारपाल से खैबर दर्रे का अभिज्ञान निश्चित ही जान पड़ता है।

  • इन सब स्थानों को नकुल ने 'शासन' भेजकर ही वश में कर लिया था और वहाँ सेना भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी-
'तान् सर्वान् स वशे चक्रे शासनादव पांडव:'।
'ततो गच्छेत धर्मज्ञ द्वारपालं तरन्तुकम्'।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, सभापर्व 32, 12.
  2. महाभारत, वनपर्व 83, 15

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः