गंगोदतीर्थ का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत वन पर्व के उल्लेखानुसार गंगोदतीर्थ में जाकर तीन रात उपवास करने वाला मनुष्य वाजपेय यज्ञ का फल पाता है और सदा के लिये ब्रह्मीभूत हो जाता है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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