सुवर्णतीर्थ का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत वन पर्व के अनुसार यह एक पुण्यमय तीर्थ का नाम है, जहाँ भगवान विष्णु ने शिवजी की प्रसन्नता के लिए उनकी आराधना कर देव दुर्लभ वर प्राप्त किये थे।
- इस तीर्थ में जाकर शिवाराधना करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता था।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 532 |
- ↑ महाभारत वन पर्व 84.18-22