माण्डव्याश्रम का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है, जिसके अनुसार ये एक पवित्र स्थान का नाम था।[1]
- 'महाभारत उद्योग पर्व' के उल्लेखानुसार भीष्म के वध हेतु काशीराज की कन्या अम्बा ने नन्दाश्रम, उलूकाश्रम च्यवनाश्रम, ब्रह्मस्थान, देवताओं के यज्ञस्थान प्रयाग, देवराण्य, भोगवती, कौशिकाश्रम, माण्डव्याश्रम, दिलीपाश्रम, रामहृद और पैलगर्गाश्रम क्रमश: इन सभी तीर्थों में कठोर व्रत का आश्रय लेकर स्नान किया। उस समय माता गंगा ने जल में प्रकट होकर अम्बा से कहा- "भद्रे! तू किसलिये शरीर को इतना क्लेश देती है। मुझे ठीक-ठीक बता।" तब साध्वी अम्बा ने हाथ जोड़कर गंगा जी से कहा- "चारूलोचने! भीष्म ने युद्ध में परशुराम जी को परास्त कर दिया; फिर दूसरा कौन ऐसा राजा है, जो धनुष-बाण लेकर खडे़ हुए भीष्म को युद्ध में परास्त कर सके? अत: मैं भीष्म के विनाश के लिये अत्यन्त कठोर तपस्या कर रही हूँ।"[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 85 |
- ↑ महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 186 श्लोक 22-41