सुमेरु पर्वत

सुमेरु पर्वत हिन्दू पुराणानुसार पर्वतों का राजा है, इस पर्वत को सोने का भी कहा गया है।

  • जंबूद्वीप के नौ वर्षों में से इलावृत नामक अभ्यंतर वर्ष में अयह स्थित माना गया है, जिसके अनुसार मंदर मेरुमंदर, सुपार्श्व और कुमुद नाम के चार पहाड़ दूध, मधु, गन्ना का रस तथा स्वच्छ जल से भरे 4 जलाशय और नन्दन, चैत्ररथ, वैभ्राजक और सर्वतो भद्र नामक 4 उद्यान भी कहे गये हैं।
  • देवता इन उद्यानों में विहार करते हैं।
  • नृसिंह पुराणासार सुमेरु की स्फटिक, वैदूर्य और रत्नमय तीन चोटियाँ हैं, जिन पर 21 स्वर्ग हैं।
  • जहाँ देवतओं का निवास रहता है। इस पर्वत के ऊपर का भाग 128,000 कोस और मध्य भाग 4000 कोस का माना गया है। भागवतानुसार यह पर्वतों का राजा है।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 530 |

  1. भागवत 5.16.7; 11.15

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