म्लेच्छ (जनपद)

Disamb2.jpg म्लेच्छ एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- म्लेच्छ (बहुविकल्पी)

म्लेच्छ का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। महाभारत आदि पर्व के अनुसार यह एक जनपद था।

'महाभारत आदि पर्व'[1] में राजा दुष्यंत की अद्भुत शक्ति तथा राज्यशासन की क्षमता का वर्णन किया गया है। इसके अनुसार जनमेजय वैशम्पायन जी से कहते हैं-

"ब्राह्मन्! मैंने आपके मुख से देवता, दानव, राक्षस, गन्धर्व तथा अप्सराओं के अंशावतरण का वर्णन अच्छी तरह सुन लिया। विप्रवर! अब इन ब्रह्मर्षियों के समीप आपके द्वारा वर्णित कुरु वंश का वृत्तान्त पुनः आदि से ही सुनना चाहता हूँ।"

वैशम्पायन जी ने कहा- "भरतवंश शिरोमणे! पूरूवंश का विस्तार करने वाले एक राजा हो गये हैं, जिनका नाम था दुष्यंत। वे महान तथा चारों समुद्रों से घिरी हुई समूची पृथ्वी के पालक थे। राजा दुष्यंत पृथ्वी के चारों भागों का तथा समुद्र से आवृत सम्पूर्ण देशों का भी पूर्णरूप से पालन करते थे। उन्होंने अनेक युद्वों में विजय पायी थी। रत्नाकर समुद्र तक फैले हुए, चारों वर्ण के लोगों से भरे-पूरे तथा म्लेच्छ देश की सीमा से मिले-जुले सम्पूर्ण भूभागों का ये शत्रुमर्दन नरेश अकेले ही शासन तथा संरक्षण करते थे।"


टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस.पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 89 |

  1. महाभारत आदि पर्व अध्याय 68 श्लोक 1-15

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