वनवास (प्रदेश)

वनवास अथवा 'वनवासी' नामक एक प्रदेश का उल्लेख बौद्ध धार्मिक ग्रन्थ 'महावंश'[1] में हुआ है, जिसका अभिज्ञान वर्तमान मैसूर के उत्तरी भाग[2] से किया गया है।[3]

  • 'महावंश' के उल्लेख से जान पड़ता है कि मौर्य शासक अशोक के शासन काल में मोग्गलीपुत्र ने रक्षित नामक एक स्थविर को बौद्ध धर्म के प्रचारार्थ यहाँ भेजा था।
  • महाभारत में सम्भवत: इसी प्रदेश के निवासियों को 'वनवासी' कहा गया है-
'तिमिंगलं च स नृपं वशेकृत्वा महामतिः, एकपादांश्च पुरुषान, केरलान् वनवासिनः।'[4]
  • वायुपुराण[5] और हरिवंशपुराण[6] में भी इस प्रदेश का उल्लेख है।
  • वनवासी या वनवास जनपद का उल्लेख शातकर्णी नरेशों (द्वितीय शती ई.) के अभिलेखों में भी है। यहाँ इन आंध्र राजाओं के अमात्य का मुख्य स्थान था।
  • वनवास प्रदेश का वर्णन 'दशकुमारचरित' के 8वें उच्छ्वास में भी आया है।
  • 'बृहत्संहिता'[7] में वनवासी को दक्षिण में स्थित बताया गया है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महावंश 12, 4
  2. उत्तर कनारा
  3. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 831 |
  4. महाभारत, सभापर्व 31, 69
  5. वायुपुराण 45, 125
  6. हरिवंशपुराण 95
  7. बृहत्संहिता 14, 12

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