सुमुख कश्यप और कद्रू की संतति परंपरा में उत्पन्न एक प्रमुख नाग का नाम था।[1]
- यह ऐरावत (नाग) कुल में उत्पन्न आर्यक का पौत्र, वामन का दौहित्र तथा चिकुर का पुत्र था।
- भगवान विष्णु की आज्ञा से इंद्र ने इसे दीर्घायु बनाया। मालति की कन्या गुणकेशी से इनका विवाह हुआ था।
- भगवान विष्णु ने इसे पैर के अंगूठे से उठाकर गरुड़ की छाती पर रख दिया था। तभी से यह सदा के लिये रहता है।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 530 |
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