गिरिव्रज (मगध की राजधानी)

गिरिव्रज मगध की प्राचीन राजधानी, जिसे राजगृह भी कहते थे। केकय के गिरिव्रज से इस गिरिव्रज को भिन्न करने के लिए इसे "मगध का गिरिव्रज" कहते थे।[1][2] वर्तमान समय में यह बिहार का प्रसिद्ध शहर एवं अधिसूचित क्षेत्र है।

  • वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड[3] में गिरिव्रज की पांच पहाड़ियों का उल्लेख है-
'चक्रेपुरवरंराजा वसुर्नाम गिरिव्रजम्। एषा वसुमती नापवसोस्तस्य महात्पन:, एते शैलवरा: पंच प्रकाशन्ते समन्तत:।'

उपरोक्त उल्लेख के अनुसार इस नगर को 'वसु' नामक राजा ने बसाया था।

'तने रुद्धा हि राजान: सर्वे जित्वा गिरिव्रजे'[4]

अर्थात् 'जरासंध ने सब राजाओं को जीतकर गिरिव्रज में कैद कर लिया है।'[5]

'भ्रामयित्वा शतगुणमेकोनं येत भारत, गदाक्षिप्ता बलवता मागधेन गिरिव्रंजात्।'

अर्थात् 'श्रीकृष्ण के ऊपर आक्रमण करने के लिए बलवान मगधराज जरासंध ने अपनी गदा निन्यानबे बार घुमाकर गिरिव्रज से [6] फैंकी।

  • संभवत: मगध का गिरिव्रज, केकय देश के इसी नाम के नगर के निवासियों द्वारा रामायण काल के पश्चात् बसाया गया होगा।[2]
  • सौंदरनंद[7] में कपिलवस्तु की तुलना अश्वघोष ने गिरिव्रज से की है-

'सरिद्विस्तीर्णपरिखं स्पष्टांचितमहापथम्, शैलकल्पमहावप्रं गिरिव्रजमिवा परम्।'

  • गिरिव्रज के अन्य नाम 'राजगृह', 'मगधपुर', 'बार्हद्रथपुर', 'बिंविसारपुरी', 'वासुमती' आदि प्राचीन साहित्य में प्राप्त हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सेक्रेड बुक्स ऑव दी ईस्ट-13, पृ. 150
  2. 2.0 2.1 ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 288 |
  3. बालकाण्ड 1, 38-39
  4. महाभारत सभापर्व, 14, 63
  5. महाभारत सभापर्व
  6. 99 योजन दूर मथुरा की ओर
  7. सौंदरनंद 1, 42

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