ग्रन्थिक

ग्रन्थिक महाभारत में एक वर्ष के अज्ञातवास के समय नकुल द्वारा अपनाया गया नाम था।

  • महाभारत में पांडवों के वनवास में एक वर्ष का अज्ञातवास भी था, जो उन्होंने विराट नगर में बिताया।
  • विराट नगर में पांडव अपना नाम और पहचान पूर्णत: छुपाकर रहे। उन्होंने राजा विराट के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया।
  • नकुल ने अपना नाम 'ग्रन्थिक' बताया और स्वयं को अश्वों का अधिकारी कहा।
  • ग्रन्थिक का अर्थ है- "आयुर्वेद तथा अध्वर्यु विद्या सम्बन्धी ग्रन्थों को जानने वाला"।
  • श्रुति में अश्विनीकुमारों को देवताओं का वैद्य तथा अध्वर्यु कहा गया है-
'अश्विनौ वै देवानां भिषजावश्विनावध्वर्यू।'
  • नकुल अश्विनीकुमारों के पुत्र थे; अत: उनका अपने को ग्रन्थिक कहना उपयुक्त ही था।
'नास्ति श्वो येषां ते अस्वा:'

अर्थात 'जिनके कल तक जीवित रहने की आशा न हो, वे अश्व हैं।" इस व्युत्पत्ति के अनुसार जीवन की आशा छोड़कर युद्ध में डटे रहने वाले वीरों को अश्व कहते हैं।

  • नकुल उनके अधिकारी अर्थात वीरों में प्रधान थे। अत: उनका यह परिचय यथार्थ ही था।

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