हंसकूट का उल्लेख पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत आदि पर्व के अनुसार यह एक पर्वत का नाम है, जहाँ पत्नियों सहित पाण्डु गये थे। इस पर्वत को पारकर वे शतश्रृंग पर्वत पर पहुँचे थे।[1]
- महाभारत सभा पर्व के अनुसार इस पर्वत के शिखर को श्रीकृष्ण ने द्वारका पुरी में स्थापित किया था, जो साठ ताड़ वृक्षों के बराबर ऊँचा तथा आधा योजन चौड़ा था।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 545 |
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