विश्वावसु | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- विश्वावसु (बहुविकल्पी) |
विश्वावसु का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। महाभारत आश्रमवासिक पर्व के अनुसार ये एक ऋषि थे।
- 'महाभारत आश्रमवासिक पर्व' के उल्लेखानुसार राजा धृतराष्ट्र के समीप व्यास जी के पीछे उन सब लोगों में जब उपयुक्त बातें होती रहीं, उसी समय वहाँ दूसरे-दूसरे मुनि भी आये। उन में नारद, पर्वत, महातपस्वी देवल, विश्वावसु , तुम्बरू तथा चित्रसेन भी थे। धृतराष्ट्र की आज्ञा से महातपस्वी कुरुराज युधिष्ठिर ने उन सब की भी यथोचित पूजा की।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 100 |