महाहनु का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। जिसके अनुसार ये जनमेजय के सर्पयज्ञ में जला एक साँप था।[1]
- महाभारत आदि पर्व के उल्लेखानुसार ये तक्षक के कुल में उत्पन्न नाग थे, उनके नाम निम्न हैं- पुच्छाण्डक, मण्डलक, पिण्डसेत्ता, रभेणक, उच्छिख, शरभ, भंग, बिल्बतेजा, विरोहण, शिलि, शलकर, मूक, सुकुमार, प्रवेपन, मुद्गर, शिशुरोमा, सुरोमा और महाहनु- ये तक्षक वंशज नाग थे, जो सर्पसत्र यज्ञ की अग्नि में समा गये।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 85 |
- ↑ महाभारत आदिपर्व अध्याय 57 श्लोक 1-24
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