द्युमान नाम के एक पात्र का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य 'महाभारत' में मिलता है। यह शाल्व का मंत्री था। जब शाल्व ने द्वारका पर आक्रमण किया, तब द्युमान का प्रद्युम्न आदि यादव वीरों से सामना हुआ था।
- युद्ध में यादव महारथियों के वार से शाल्व मूर्च्छित हो गया। शाल्व के मंत्री द्युमान को बहुत क्रोध आया। स्वयं उसे भी प्रद्युम्न ने आहत कर दिया था।
- द्युमान विमान के निकट आने पर कूद गया और उसने प्रद्युम्न के वक्षस्थल पर गदा मारी। प्रद्युम्न मूर्च्छित हो गये। उनकी छाती में बहुत चोट आयी थी। यह देखते ही उनका सारथि जो दारुक का पुत्र था, रथ को नगर के भीतर वेगपूर्वक हटा ले गया।
- प्रद्युम्न का उपचार हुआ। वे शीघ्र चेतना में आये। सावधान होते ही इधर-उधर देखकर सारथि से बोले- "यह क्या किया तुमने? मुझे युद्ध भूमि से हटा क्यों लाये? युद्ध में विजय या मृत्यु, यादव वीर पलायन तो नहीं जानते। अब जीवन भर भाभियाँ व्यंग करेंगी कि मैं युद्ध में डरकर भागा।"[1]