शिवि

Disamb2.jpg शिवि एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- शिवि (बहुविकल्पी)

शिवि चन्द्रवंशी सम्राट उशीनर के पुत्र शिवि थे। प्रसिद्ध दानी महाराज शिवि की कथाओं से सारी हिन्दू जाति परिचित है। इसी सम्राट से शिविवंश प्रचलित हुआ जोकि जाटवंश (गोत्र) है। पेशावर के उत्तर उद्यान नामक स्थान में इनका राज्य था। शेरकोट झंग में इनके द्वारा बसाया शिविनगर आज भी विद्यमान है।

  • इस शिविवंश का वर्णन रामायण में है। महाभारत युद्ध काल में युधिष्ठिर ने स्वयंवर रीति से शिवि नरेश गोवासन की कन्या देविका से विवाह किया था, जिससे एक पुत्र जिसका नाम यौधेय था, उत्पन्न किया।[1] यही राजा गोवासन पूर्व प्रतिज्ञा बद्ध होने से दुर्योधन की ओर से महाभारत युद्ध में शामिल हुआ था।[2] में लिखा है कि इस राजा गोवासन के अतिरिक्त पांचों पांडवों के साथ द्रौपदी को काम्यकवन में जयद्रथ और शिविवंशी राजा कोटिकाश्य ने भी देखा था। वनपर्व (267-5) में इस कोटिकाश्य को शैव्य सुरथ का पुत्र लिखा है।
  • द्रोणपर्व (22-12) में युद्धलिप्त शैव्य चित्ररथ का वर्णन है। यह शैव्यवंश या शिविवंश एक ही है। एक शिविवंश राजा को द्रोण ने मारा और एक पर श्री कृष्ण जी ने विजय प्राप्त की थी।
  • वनपर्व (12-31) से यह भी विदित होता है कि ये शिविराजे सिंधुओं के करद थे।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत आदिपर्व 95 वां अध्याय
  2. द्रोणपर्व अध्याय 95, श्लोक 38

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