सुभ्राट

सुभ्राट का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है, जहाँ इन्हें एक देवता बताया गया है।

  • 'महाभारत आदि पर्व'[1] में उल्लेख मिलता है कि पूर्वकाल में दिव:पुत्र, वृहत, भानु, चक्षु, आत्मा, विभावसु, सविता, ऋचीक, अर्, भानु, आशा तथा रवि- ये सब शब्द विवस्वान के बोधक माने गये हैं।
  • इन सब में जो अन्तिम ‘रवि’ हैं, वे ‘मह्य’[2] माने गये हैं। इनके तनय देवभ्राट और देवभ्राट के तनय सुभ्राट माने गये हैं।
  • सुभ्राट के तीन पुत्र हुए। वे सब-के-सब संतानवान और बहुश्रुत[3] ज्ञाता हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं-
  1. दशज्योति
  2. शतज्योति
  3. सहस्रज्योति


टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 117 |

  1. महाभारत आदि पर्व अध्याय 1 श्लोक 43-58
  2. मही-पृथ्वी में गर्भ स्थापन करने वाले एवं पूज्य।
  3. अनेक शास्त्रों के

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