सूत्रद्रष्टा त्रिशिरा के तीन सिर थे। वह एक मुंह से सुरापान, दूसरे से सोमपान और तीसरे से अन्न ग्रहण करता था। वह त्वष्ट्र का पुत्र होने के कारण त्वांष्ट्र भी कहलाया। उसकी मां असुरों की बहन थी, अत: त्रिशिरा देवपुरोहित होते हुए भी असुरों से अधिक प्रेम करता था।
- एक बार इन्द्र ने सोचा कि त्रिशिरा को असुर-पुरोहित बनाना असुरों की चाल है, अत: उन्होंने उसके तीनों सिरों को काट डाला।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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