कुष्माण्डक दैत्य का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में हुआ है, जिसके अनुसार यह एक दैत्य था और इसका वध भगवान विष्णु ने अक्षय नवमी को किया था। कुष्माण्डक दैत्य के रोम से ही कुष्माण्ड की बेल उत्पन्न हुई थी। मान्यता है कि गन्ध, पुष्प और अक्षतों से कुष्माण्ड[1] का पूजन करना चाहिये।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ काशीफल, सीताफल या कद्दू भी कहते हैं