श्रेणिमान का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। यह कुमार देश का राजा था, जो कालेय असुर का अंशावतार था। महाभारत युद्ध में यह पांडवों की ओर से लड़ने वाला अतिरथी योद्धा था।
- 'महाभारत उद्योग पर्व'[1] में भीष्म ने पांडव सेना के रथी, महारथी एवं अतिरथी आदि योद्धाओं का वर्णन किया है।
- एक स्थान पर भीष्म कहते हैं कि- "द्रुपद का तरुण पुत्र सत्यजित सदा युद्ध की स्पृहा रखने वाला है। वह धृष्टद्युम्न के समान ही अतिरथी का पद प्राप्त कर चुका है। वह पांडवों के यशोविस्तार की इच्छा रखकर युद्ध में महान कर्म करेगा। पांडव पक्ष के धुरंधर वीर महापराक्रमी पांड्यराज भी एक अन्य महारथी हैं। ये पांडवों के प्रति अनुराग रखने वाले और शूरवीर हैं। इनका धनुष महान और सुदृढ़ है। ये पांडव सेना के सम्माननीय महारथी हैं। राजा श्रेणिमान और वसुदान, ये दोनों वीर अतिरथी माने गये हैं। ये शत्रुओं की नगरी पर विजय पाने में समर्थ हैं।"[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 110 |
- ↑ महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 171 श्लोक 1-27
- ↑ महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 171 श्लोक 1-27