शर्मिष्ठा हिन्दू पौराणिक मान्यताओं और महाभारत के अनुसार दैत्यों के राजा वृषपर्वा की कन्या थी, जो शुक्राचार्य की कन्या देवयानी की सखी थी।
- एक बार क्रोध से उसने देवयानी को पीटा और कुएँ में डाल दिया।
- देवयानी को ययाति ने कुएँ से बाहर निकाला। ययाति के चले जाने पर देवयानी उसी स्थान पर खड़ी रही। पुत्री को खोजते हुए शुक्राचार्य वहाँ आए। किंतु देवयानी शर्मिष्ठा द्वारा किए गए अपमान के कारण जाने को राज़ी न हुई।
- शुक्राचार्य दुःखी होकर नगर छोड़ने को तैयार हो गए। जब वृषपर्वा को यह ज्ञात हुआ तो उसने बहुत अनुनय-विनय की। अंत में शुक्राचार्य इस बात पर रुके कि शर्मिष्ठा देवयानी के विवाह में दासी रूप में भेंट की जाएगी। वृषपर्वा सहमत हो गए और शर्मिष्ठा ययाति के यहाँ दासी बनकर गई। शर्मिष्ठा से ययाति को तीन पुत्र हुए।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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