मारीच का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य 'रामायण' में हुआ है, जिसके अनुसार ये एक राक्षस तथा रावण का मंत्री था।
- जब रावण गोकर्ण तीर्थ जा रहा था, तब त्रिकूट और कालपर्वत को लाँघकर उसने मगरों के निवास स्थान गहरे महासागर को देखा। उसे ऊपर-ही-ऊपर लाँघकर दशमुख रावण गोकर्ण तीर्थ में गया, जो परमात्मा शूलपाणि शिव का प्रिय एवं अविचल स्थान है। वहाँ रावण अपने भूतपूर्व मन्त्री मारीच से मिला, जो श्री रामचन्द्र के भय से ही पहले से उस स्थान में आकर तपस्या करता था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 86 |
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