अन्धकासुर अथवा 'अन्धक' हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार हिरण्याक्ष का पुत्र था। अन्धक ने तपस्या के द्वारा ब्रह्मा जी की कृपा से न मारे जाने का वर प्राप्त करके त्रिलोकी का उपभोग करते हुए इन्द्रलोक को जीतकर इन्द्र को पीड़ित करने लगा था।[1]