योजनगन्धा

योजनगन्धा का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। यह उपरिचर वसु के वीर्य और मत्स्य के गर्भ से उत्पन्न पुत्री थी।

  • महाभारत आदि पर्व के उल्लेखानुसार यह 'सत्यवती’ नाम से प्रसिद्ध हुई थी।
  • मछुआरों (मछेरों) के आश्रय में रहने के कारण योजनगन्धा पवित्र मुस्‍कान वाली कुछ काली कन्या थी।
  • यह मत्स्यगन्धा नाम से ही विख्‍यात रही।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 90 |

  1. महाभारत आदि पर्व अध्याय 63 श्लोक 63-80

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