अविन्ध्य हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार बुद्धिमान, वृद्ध और श्रेष्ठ राक्षस थे, जो राम के हितैषी थे।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 16 |
- ↑ महाभारत वन पर्व अध्याय 280 श्लोक 49-64
संबंधित लेख
|