पंचजन

पंचजन का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। यह संहाद तथा कृति का पुत्र था।

  • एक असुर का नाम जो प्रभास के निकट लवण समुद्र में रहता था।
  • यह श्रीकृष्ण के गुरु संदीपनाचार्य के पुत्र को चुरा ले गया था।
  • गुरुदक्षिणा में श्रीकृष्ण इसे मार गुरुपुत्र को छुड़ा लाये थे।


इसी असुर की हड्डियों से ‘पांचजन्य’ शंख बना था। अन्य मत से यह एक शंख में रहा करता था जिससे निकालकर श्रीकृष्ण ने इसे मार डाला था और शंख स्वयं बजाया करते थे। पंचजन्य नाम से प्रसिद्ध असुर जो प्राग्ज्योतिषपुर निवासी नरकासुर का अनुगामी था, भगवान् कपिल की नेत्राग्नि से बचे हुए चार पुत्रों में से एक पुत्र का नाम, जिनकी असिक्नी नाम की पुत्री दक्ष को ब्याही गई थी जिनसे हर्यश्व आदि विरक्तपुत्र तथा अदिति आदि लोकमाताऐं उत्पन्न हुईं जिनसे यह सारी सृष्टि हुई। गंधर्व, पितर, देव, असुर और राक्षस, इन पाँचों के समूह को ‘पंचजन’ कहते हैं। अंशुमान् का पिता तथा अंशुमान् की पत्नी यशोदा का श्वसुर था।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस.पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 67 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः