शरभंग

शरभंग रामायणानुसार एक ऋषि थे, जो दक्षिण भारत में रहते थे।

  • वनवास के समय श्रीराम दर्शनार्थ इनके आश्रम पर आये थे।
  • शरभंग यह सुनकर कि राम उनके आश्रम पर आये हैं, उन्होंने इन्द्र के साथ ब्रह्मलोक न जा रामदर्शन को ही उत्तम समझा और श्रीराम के सामने ही योगाग्नि से अपने शरीर को भस्म कर दिव्य धाम को गये थे।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 489 |

  1. रामचरितमानस अरण्यकाण्ड 7.4-8.2

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