मदिरा | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- मदिरा (बहुविकल्पी) |
मदिरा का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है, महाभारत के अनुसार ये वसुदेवजी की पत्नी का नाम था।[1] इनके गर्भ से वसुदेव जी के नंद, उपनंद[2][3], कृतक तथा शूर आदि पुत्र हुए थे।
- वसुदेव जी के कुल अट्ठारह विवाह हुए, जबकि कहीं-कहीं इनकी 12 पत्नियाँ कही जाती हैं। वसुदेव की पत्नियों के ज्ञात नाम इस प्रकार हैं[4]-
- वसुदेव ने अपनी इन सभी पत्नियों से संतानें प्राप्त की थीं। सभी संतानों का जन्म मथुरा में ही हुआ था। इनमें से अनेकों की आयु में कुछ दिनों का ही अंतर था।
- वसुदेव का भवन उनकी पत्नियों की संतानों से भर गया था। उनके भाइयों की पत्नियों के भी कई पुत्र हुए।
- दीर्घ काल तक पौत्रों का मुख देखने को तरसती रही थीं देवी मारिषा और फिर उनको पितामही का गौरव देने वाले बहुत अधिक एक साथ आ गए उनके पुत्रों के गृहों में। उनकी अभिलाषा भली प्रकार पूर्ण हो गई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 82 |
- ↑ भागवतपुराण 9.24.45, 48; ब्रह्माण्डपुराण 3.71.161,171-2; वायुपुराण 96.100; विष्णुपुराण 4.15.18, 23
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 394 |
- ↑ भगवान वासुदेव -सुदर्शन सिंह चक्र पृ. 244