वार्ष्णेय | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- वार्ष्णेय (बहुविकल्पी) |
वार्ष्णेय हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार राजा नल का सारथि था।
- 'महाभारत वन पर्व'[1] में 'बाहुक-केशिनी संवाद' के अंतर्गत एक स्थान पर बाहुक कहते हैं-
"भद्रे! उस तीसरे व्यक्ति का नाम वार्ष्णेय है। वह पुण्य श्लोक राजा नल का सारथि है। नल के वन में निकल जाने पर वह ऋतुपर्ण की सेवा में चला गया है। मैं भी अश्वविद्या में कुशल हूँ और सारथि के कार्य में भी निपुण हूँ। इसलिये राजा ऋतुपर्ण ने स्वयं ही मुझे वेतन देकर सारथि के पद पर नियुक्त कर लिया।" केशिनी ने पूछा- "बाहुक! क्या वार्ष्णेय यह जानता है कि राजा नल कहाँ चले गये। उसने आपसे महाराज के सम्बन्ध में कैसी बात बतायी है?"
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 97 |