भरत | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- भरत (बहुविकल्पी) |
भरत हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के अनुसार ऋषभदेव तथा जयन्ती के पुत्र थे।[1]
- ऋषभदेव तथा जयन्ती के सौ पुत्रों में से भरत ज्येष्ठ थे, जो भगवान नारायण के परम भक्त थे।
- भरत का विवाह विश्वरूप की पुत्री पञ्चजनी से हुआ था।
- भरत से छोटे कुशावर्त, इलावर्त, ब्रह्मावर्त, मलय, केतु, भद्रसेन, इन्द्रस्पृक विदर्भ और कीकट थे, जो प्रथक प्रथक देशों के नरेश थे, इनके देश इनके नाम से ही प्रसिद्ध हुए। यह सभी नरेश तपस्वी व भगवद्भक्त थे। इन राजकुमारों के अतिरिक्त, कवि, हरि, अन्तरीक्ष, प्रबुद्ध, पिप्पलायन, आविर्होत्र, द्रुमिल, चमस, और करभाजन नाम के राजकुमार योगी एवं संन्यासी हो गए, बाकी इक्यासी पुत्र वेदज्ञ वेदान्ती, कर्मकाण्डी ब्राह्मण थे।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण पृ. 6
- ↑ पौराणिक चरित्र |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञान मण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 370 |