प्रतिष्ठा कुमार कार्तिकेय की एक अनुचरी मातृका है, जो शत्रुओं का विनाश करने वाली है। महाभारत शल्यपर्व के गदापर्व में इसका वर्णन मिलता है।[1]
- पौराणिक महाकाव्य महाभारत के शल्यपर्व के अंतर्गत गदापर्व में बलराम जी की तीर्थयात्रा तथा सरस्वतीपाख्यान का विस्तृत वर्णन वैशम्पायन जी द्वारा जनमेजय से कहा गया है। इसी प्रसंग में वैशम्पायन जी ने कुमार कार्तिकेय की अनुचरी मातृकाओं के नाम बताये हैं, जिनमें 'प्रतिष्ठा' का नाम भी लिया गया है।
- इन्हें भी देखें: महाभारत, कृष्ण, कौरव एवं पांडव
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत शल्य पर्व अध्याय 46 श्लोक 1-35
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