श्रीमद्भगवद्गीता -श्रील् प्रभुपाद पृ. 709

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप -श्री श्रीमद् ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद

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श्रद्धा के विभाग
अध्याय 17 : श्लोक-10


यह पशु चर्बी (वसा) दुग्ध के रूप में उपलब्ध है, जो समस्त भोजनों में परम चमत्कारी है। दुग्ध, मक्खन, पनीर तथा अन्य पदार्थों से जो पशु चर्बी मिलती है, उससे निर्दोष पशुओं के मारे जाने का प्रश्न नहीं उठता। यह केवल पाशविक मनोवृत्ति है, उससे निर्दोष पशुओं के मारे जाने का प्रश्न उठता। यह केवल पाशविक मनोवृत्ति है, जिसके कारण पशुवध चल रहा है। आवश्यक चर्बी प्राप्त करने की सुसंस्कृत विधि दूध से है। पशुवध तो अमानवीय है। मटर, दाल, दलिया आदि से प्रचुर मात्रा में प्रोटीन उपलब्ध होता है। जो राजस भोजन कटु, बहुत लवणीय या अत्यधिक गर्म, चरपता होता है, वह आमाशय की श्लेष्मा को घटा कर रोग उत्पन्न करता है। तामसी भोजन अनिवार्यतः बासी होता है। खाने से तीन घंटे पूर्व बना कोई भी भोजन[1] तामसी माना जाता है। बिगड़ने के कारण उससे दुर्गंध आती है, जिससे तामसी लोग प्रायः आकृष्ट होते हैं, किन्तु सात्त्विक पुरुष उससे मुख मोड़ लेते हैं।

उच्छिष्ट (जूठा) भोजन उसी अवस्था में किया जा सकता है, जब वह उस भोजन का एक अंश हो जो भगवान को अर्पित किया जा चुका हो, या कोई साधुपुरुष, विशेष रूप से गुरु द्वारा, ग्रहण किया जा चुका हो। अन्यथा ऐसा जूठा भोजन तामसी होता है और वह संदूषण या रोग को बढ़ाने वाला होता है। यद्यपि ऐसा भोजन तामसी लोगों को स्वादिष्ट लगता है, लेकिन सतोगुणी उसे ना तो छूना पसंद करते हैं, न खाना। सर्वोत्तम भोजन तो भगवान को समर्पित भोजन का उच्छिष्ट है। भगवद्गीता में परमेश्वर कहते हैं कि वे तरकारियाँ, आटे तथा दूध की बनी वस्तुएँ भक्तिपूर्वक भेंट किये जाने पर स्वीकार करते हैं। पत्रं पुष्पं फलं तोयम्। निस्सन्देह भक्ति तथा प्रेम ही प्रमुख वस्तुयें हैं, जिन्हें भगवान स्वीकार करते हैं। लेकिन इसका भी उल्लेख है कि प्रसादम् को एक विशेष विधि से बनाया जाए। कोई भी भोजन, जो शास्त्रीय ढंग से तैयार किया जाता है और भगवान को अर्पित किया जाता है, ग्रहण किया जा सकता है, भले ही वह कितने ही घण्टे पूर्व क्यों न तैयार हुआ हो, क्योंकि ऐसा भोजन दिव्य होता है। अतएव भोजन का रोगाणुरोधक, खाद्य तथा सभी मनुष्यों के लिए रुचिकर बनाने के लिए सर्वप्रथम भगवान को अर्पित करना चाहिए।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भगवान को अर्पित प्रसादम् को छोड़कर

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