सबै दिन गए विषय के हेत -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

Prev.png
राग धनाश्री



सबै दिन गए विषय के हेत।
तीनौं पन ऐसैं ही खोए, केस भए सिर सेत।
आँखिनि अंध, स्रवन नहि सुनियत, थाके चरन समेत।
गंगा-जल तजि पियत कूप-जल, हरि तजि पूजत प्रेत।
मन-बच-क्रम जौ भजै स्‍याम कौ, चारि पदारथ देत।
ऐसौ प्रभू छाँड़ि क्‍यौं भटकै, अजहूँ चेति अचेत।
राम नाम बिनु क्‍यौं छूटौगे, चंद गहै ज्‍यौं केत।
सूरदास कछु खरच न लागत, राम नाम मुख लेत।।296।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः