बह्मा सौं स्वयंभु मनु भयौ -सूरदास

सूरसागर

तृतीय स्कन्ध

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राग बिलावल
वाराह-अवतार



बह्मा सौं स्वयंभु मनु भयौ। तासौं सृष्टि करन कौं कह्यौ।
तिन ब्रह्मा सौं कह्यौ सिरनाई। सृष्टि करौं सो रहै किहिं भाइ?
ब्रह्मा हरि-पद ध्यान लगायौ। तब हरि बपु-बराह धरि आयौ।
ह्वै बराह पृथ्वी ज्यौं ल्यायौ। सूरदास त्यौही सुक गायौ।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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