पिउ पद-कमल कौ मकरंद -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग बिलावल
श्रीगंगा-विष्णु-पादोदक-स्तुति


  
पिउ पद-कमल कौ मकरंद।
मलिन-मति मन-मधुप, परिहरि, परिहरि, विषय नीरस मंद।
अमृत हूँ तैं अमल अति गुन, स्रवन निधि-आनंद।
परम सीतल जानि संकर, सिर धरयो ढिग चंद।
नाग-नर-पसु सबनि चाह्यौ सुरसरी को बुंद।
सूर तीनौ लोक परस्यौ, सुरसरी जस-छंद।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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