सनकादिकनि कह्यो नहिं मान्यौ -सूरदास

सूरसागर

तृतीय स्कन्ध

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राग बिलावल
रुद्र-उत्पत्ति



सनकादिकनि कह्यो नहिं मान्यौ। ब्रह्मा क्रोध बहुत मन आन्यौ
तब इक पुरुष मौंह तैं भयौ। होत समय तिन रोदन ठयौ।
ताकौं नाम रुद्र बिधि राख्यौ। तासौं सृष्टि करन कौं भाख्यौं।
तिन बहु सृष्टि तामसी करी। सो तामस करि मन अनुसरी।
ब्रह्मा मन सो भली न भाई। सूर सृष्टि तब और उपाई।।7।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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