उठिये स्याम, कलेऊ कीजै। मनमोहन-मुख निरखत जीजै।
खारिक, दाख, खोपरा खीरा। केरा, आम, ऊख-रस, सीरा।
श्रीफल मधुर, चिरौंजी आनी। सफरी चिउरा, अरुन खुबानी।
घेवर-फेनी और सुहारी। खोवा सहित खाहु, बलिहारी।
रचि पिराक लाडू दधि आनौं। तुमकौं भावत पुरी सँघानौं।
तब तमोल रचि तुमहिं खबाबौं। सूरदास पनवारौ पावौं।।211।।