उठिये स्याम, कलेऊ कीजै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग भैरव
कलेवा-वर्णन



उठिये स्याम, कलेऊ कीजै। मनमोहन-मुख निरखत जीजै।
खारिक, दाख, खोपरा खीरा। केरा, आम, ऊख-रस, सीरा।
श्रीफल मधुर, चिरौंजी आनी। सफरी चिउरा, अरुन खुबानी।
घेवर-फेनी और सुहारी। खोवा सहित खाहु, बलिहारी।
रचि पिराक लाडू दधि आनौं। तुमकौं भावत पुरी सँघानौं।
तब तमोल रचि तुमहिं खबाबौं। सूरदास पनवारौ पावौं।।211।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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