बड़ी है राम नाम की ओट -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग कान्‍हरौ
नाम माहात्‍म्‍य



बड़ी है राम नाम की ओट।
सरन गऐं प्रभु काढ़ि देत नहिं, करत कृपा खैं कोट।
बैठत सबै सभा हरि जू की, कौन बड़ौ को छोट ?
सूरदास पारस के परसैं मिटति लोह की खोट।।232।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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