व्यास कह्यौ सुकदेव सौं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


व्यास कह्यौ सुकदेव सौं, श्रीभागवत बखानि।
द्वादस स्कंध परम सुभ, प्रेम-भक्ति की खानि।
नद स्कंध नृप सौं कहे, श्रीसुकदेव सुजान।
सूर कहत अब दसम कौं, उर धरि हरि कौ ध्यान॥1॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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