श्री सुक के सुनि बचन -सूरदास

सूरसागर

द्वितीय स्कन्ध

Prev.png
राग गूजरी
नृप-विचार



श्री सुक के सुनि वचन, नृप, लाग्यौ करन विचार।
झूठे नातै जगत के, सुत-कलत्र-परिवार।
चलत न कोऊ सँग चलै, मोरि रहै मुख नारि।
आवत गाढै़ काम हरि, देख्यौ सूर विचार।।29।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः