आजु भोर तमचुर के रोल।
गोकुल मैं आनंद होत है, मंगल-धुनि महराने टोल।
फूले फिरत नंद अति सुख भयौ, हरषि मँगावत फूल-तमोल।
फूली फिरति जसोदा तन-मन उबटि कान्ह अन्इवाइ अमोल।
तनक बदन, दोउ तनक-तनक कर, तनक चरन, पोंछति पट झोल।
कान्ह गरैं सोहति मनि-माला, अंग अभूषन अँगुरिनि गोल।
सिर चौतनी डिठौना दीन्हौ, आंखि आंजि पाहिराइ निचोल।
स्याच करत माता सौं झगरौ, अटपटात कलबल करि बोल।
दोउ कपोल गहि कै मुख चूमति, बरस-दिवस कहि करति कलोल।
सूर स्याम ब्रज-जन-मन-मोहन-बरष-गांठि कौ डोरा खोल।।94।।