जज्ञ प्रभु प्रगट दरसन दिखायौ -सूरदास

सूरसागर

चतुर्थ स्कन्ध

Prev.png
रागमारू
यज्ञपुरुष-अवतार



जज्ञ प्रभु प्रगट दरसन दिखायौ।
विष्नु-बिधि -रुद्र मम रूप ये तीनिहूँ, दच्छ सौं वचन यह कहि सुनायौ।
दच्छ रिस मानि जब जज्ञ आरँभाकियौ, सबनि कौं सहित पत्नी हँकारयौ।
रुद्र-अपमान कियौ सती तब जीव दियौ, रुद्र के गननि ताकौं सँहारयौ।
बहुरि बिधि जाइ, छमवाइ कै यद्र कौ, विष्नु विधि, रुद्र तहँ तुरत आए।
जज्ञ आरंभ मिलि रिषिनि बहुरौ कियौ, सीस अज राखि कै दच्छ ज्याए।
कुंड तैं प्रगति जग-पुरुष दरसन दियौ, स्याम सुंदर चतुरभुज मुरारी।
सूर प्रभु निरखि दंडवत सवहिनि कियो, सुर-रिषिनि सबनि अस्तुति उचारी।।6।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः