जैसैं भयौ बामन अवतार -सूरदास

सूरसागर

अष्टम स्कन्ध

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राग बिलावल
वामन-अवतार



जैसैं भयौ बामन अवतार। कहौं, सुनौ सो अब चित धार।
हरि जब अँमृत सुरन पियायौ। तब बलि असुर बहत दुख पायौ।
सुक्र ताहि पुनि जज्ञ करायौ। सुर-जय, राज त्रिलोकी पायौ।
निन्यानवे यज्ञ जब किए। तब दुख भयौ अदिति के हिए।
हरि-नित उन पुनि बहु तप कन्यौ। सूर स्याम बावन-बपु धन्यौ।।12।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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