वै मुरली की टेर सुनावत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग गौरी
ब्रज-प्रवेश-शोभा



वै मुरली की टैर सुनावत।
बृंदाबन सब बासर बसि निसि-आगम जानि चल ब्रज आवत।
सुबल, सुदामा, श्रीदाम सँग, सखा मध्‍य मोहन छबि पावत।
सुरभी-गन सब लै आगैं करि कोउ टेरत कोउ बेनु ब्रजावत।
केकी-पच्‍छ–मुकुट सिर भ्राजत, गौरी राग मिलै सुर गावत।
सूर स्‍याम के ललित बदन पर, गोरज-छवि कछु चंद छपावत।।506।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः