"सूरसागर प्रथम स्कन्ध" श्रेणी में पृष्ठ इस श्रेणी में निम्नलिखित 200 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 347 (पिछले 200) (अगले 200)अ अंत के दिन कौं हैं घनस्याम -सूरदास अदभुत जस बिस्तार करन कौं -सूरदास अद्भुत राम नाम कै अंक -सूरदास अधम की जौं देखौं अधभाई -सूरदास अनाथ के नाथ प्रभु कृष्न स्वामी -सूरदास अपनी भक्ति देहु भगवान -सूरदास अपनै जान मैं बहुत करी -सूरदास अपुने कौं कों न आदर देइ -सूरदास अब कछु नाहिंन नाथ, रह्यौ -सूरदास अब कैं नाथ मोहिं उधारि -सूरदास अब कैं राखि लेहु भगवान -सूरदास अब कैसै पैयत सुख मांगे -सूरदास अब तुम नाम गहो मन नागर -सूरदास अब तौ यहै बात मन मानी -सूरदास अब धौं कहो कौन दर आउँ -सूरदास अब मन मानि धौं राम दुहाई -सूरदास अब मेरी राखौ लाज मुरारी -सूरदास अब मैं जानी देह बुढानी -सूरदास अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल -सूरदास अब मोहि मज्जत क्यौं न उबारौ -सूरदास अब मोहिं सरन राखियै नाथ -सूरदास अब वे बिपदा हू न रही -सूरदास अब सिर परी ठगौरी देव -सूरदास अब हौं माया-हाथ बिकानौं -सूरदास अब हौं हरि, सरनागत आयौ -सूरदास अवगुन मोपै अजहूं न छूटत -सूरदास अविगत-गति कछु कहत न आवै -सूरदास अविगत-गति जानी न परै -सूरदासआ आछौ गात अकारथ गारयौ -सूरदास आजु जौ हरिहि न सस्त्र गहाऊँ -सूरदास आजु हौ एक-एक करि टरिहौ -सूरदासइ इक कौं आनि ठेलत पाँच -सूरदास इत-उत देखत जनम गयौ -सूरदास इत-उत देखि द्रौपदी टेरी -सूरदास इहि विधि कहा घटैगौ तेरौ -सूरदास इहिं राजस को को न बिगोयौ -सूरदासऊ ऊधो चलौ बिदुर कै जइयै -सूरदासऐ ऐसी कब करिहौ गोपाल -सूरदास ऐसी को करी अरु भक्त कीजै -सूरदास ऐसे और बहुत खल तारे -सूरदास ऐसे कान्ह भक्त हितकारी -सूरदास ऐसे प्रभु अनाथ के स्वामी -सूरदास ऐसै करत अनेक जन्म गए -सूरदास ऐसैहिं जनम बहुत बौरायौ -सूरदासऔ और न काहुहि जन की पौर -सूरदास औसर हारयौ रे तैं हारयौ -सूरदासक कब रागि फिरिहौं दीन बह्यौ -सूरदास करनी करुनासिंधु की -सूरदास करि मन नंद-नंदन ध्यान -सूरदास करी गोपाल की सब होइ -सूरदास कवहूं तुम नाहिंन गहरु कियौ -सूरदास कहत हे आगै जपिहैं राम -सूरदास कहा कमी जाके राम धनी -सूरदास कहा गुन बरनौं स्याम तिहारे -सूरदास कहा लाइ तैं हरि सौं तोरी -सूरदास कहावत ऐसे त्यागी दानि -सूरदास कहूँ सकुच सरन आए की होत जु निपट निकाज -सूरदास कहौ पितु मोसौं सोइ सतिभाव -सूरदास कह्यौ सुक श्री भागवत विचार -सूरदास का न कियौ जन-हित जदुराई -सूरदास काया हरि कै काम न आई -सूरदास काहु के बैर कहा सरै -सूरदास काहू के कुल तन न बिचारत -सूरदास किते दिन हरि-सुमिरन बिनु खोए -सूरदास कीजै प्रभु अपने विरद की लाज -सूरदास कृपा अब कीजिऐ बलि जाउं -सूरदास को को न तरयौ हरि नाम लिएँ -सूरदास क आगे. कौन गति करिहौ मेरी नाथ -सूरदास कौन सुनै यह बात हमारी -सूरदास कौरव पासा कपट बनाए -सूरदास कौरवपति ज्यौं बन कौं गयौ -सूरदास कौरवपति ज्यौं बन कौं गयौ2 -सूरदास क्यौं तू गोविंद नाम विसारौ -सूरदास क्यौं दासी-सुत कैं पग धारे -सूरदासग गाइ लेहु मेरे गोपालहिं -सूरदास गोविंद कोपि चक्र कर लीन्हौ -सूरदास गोविंद गाढ़े दिन के मीत -सूरदास गोविंद प्रीति सवनि की मानत -सूरदास गोविंद, अब न दूरि वह काल -सूरदासच चकई री चलि चरन-सरोवर -सूरदास चरन-कमल बंदौ हरि राइ -सूरदास चलि सखि तिहि सरोवर जाहिं -सूरदास चौपरि-जगत मड़े जुग बोले -सूरदासज जग मैं जीवत ही कौ नातौ -सूरदास जगपति नाम सुन्यौ हरि, तेरौ -सूरदास जन की और पति राखै -सूरदास जन के उपजत दुख किन काटत -सूरदास जन यह कैसे कहै गुसाई -सूरदास जनम गँवायौ ऊआबाई -सूरदास जनम तौ ऐसेहिं बीति गयौ -सूरदास जनम तौ बादिहि गयौ सिराइ -सूरदास जनम साहिवी करत गयौ -सूरदास जनम सिरानौ अटकैं-अटकैं -सूरदास जनम सिरानौ ऐसैं-ऐसैं -सूरदास जनम सिरानौई सौ लाग्यौ -सूरदास जब गहि राजसभा मैं आनी -सूरदास जब जब दीननि कठिन परी -सूरदास जहाँ-जहाँ सुमिरे हरि जिहिं बिधि -सूरदास जा दिन मन पंछी उड़ि जैहै -सूरदास जाकों दीनानाथ निवाजैं -सूरदास जाकौ मनमोहन अंग करै -सूरदास जाकौ हरि अंगीकार कियौ -सूरदास जानि हौं अब वाने की बात -सूरदास जापर दीनानाथ ढरै -सूरदास जितनी लाअ गुपालहि मेरो -सूरदास जिन जिनही केसव उर गायौ -सूरदास जे जन सरन भजे वनवारी -सूरदास जैसे तुम गज कौ पाउं छुड़ायौ -सूरदास जैसै राखहु तैसैं रहौं -सूरदास जो कोउ प्रीति करै पद-अंवुज -सूरदास जो घट अंतर हरि सुमिरै -सूरदास जो पै तुमहीं बिरद बिसारौ -सूरदास जौ अपनौ मन हरि सौं रांचै -सूरदास जौ जग और बियौ कोउ पाऊँ -सूरदास जौ तू राम-नाम-धन धरतौ -सूरदास जौ पै यहै बिचार परी -सूरदास जौ प्रभु मेरे दोष बिचारैं -सूरदास जौ मेरे दीनदयाल न होते -सूरदास जौ हम भले बुरे तौ तेरे -सूरदास जौ हरि-व्रत निज उर न धरैगौ -सूरदासझ झूठे ही लगि जनम गँवायौ -सूरदासठ ठकुरायत गिरिधर की सांची -सूरदास ठाढ़ी कृष्न-कृष्न यौं बोलै -सूरदासत तजौ मन हरि बिमुखनि कौ संग -सूरदास तब तैं गोबिंद क्यौं न सँभारे -सूरदास तब विलंब नहिं कियौ -सूरदास तातै जानि भजे बनवारी -सूरदास तातै तुम्हरौ भरोसौ आवै -सूरदास तातैं बिपति-उघारन गायौ -सूरदास तातैं सेइयै श्री जदुराई -सूरदास तिहारे आगैं बहुत नच्यौ -सूरदास तिहारौ कृष्न कहत कह जात -सूरदास तुम कब मो सौं पतित उधारयौ -सूरदास तुम तजि और कौन पै जाउँ -सूरदास त आगे. तुम प्रभु मोसौं बहुत करी -सूरदास तुम बिन भूलोइ भूलौ डोलत -सूरदास तुम विनु सांकर को काकौ -सूरदास तुम हरि सांकरे कै साथी -सूरदास तुम्हरी कृपा गोपाल गुसाई -सूरदास तुम्हरी कृपा बिनु कौन उबारे -सूरदास तुम्हरौ नाम तजि प्रभु जगदीसर -सूरदास तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान -सूरदास तुम्हारी माया महाप्रबल -सूरदास तुह्मरी एक बड़ी ठकुराई -सूरदास ते दिन बिसरि गए इहाँ आए -सूरदास तेऊ चाहत कृपा तुम्हारी -सूरदास तेरौ तब तिहिं दिन -सूरदास तौ लगि बेगि हरौ किन पीर -सूरदासथ थौरे जीवन भयौ तन भारौ -सूरदासद दयानिधि तेरी गति लखि न परै -सूरदास दिन दस लेहि गोबिंद गाइ -सूरदास दिन द्वै लेहु गोविंद गाइ -सूरदास दीन कौ दयाल सुन्यौ -सूरदास दीन जन क्यौं करि आवै सरन -सूरदास दीन-दयाल, पतित-पावन प्रभु -सूरदास दोन-नाथ अब बारि तुम्हारी -सूरदास द्रौपदी हरि सों टेरि कही -सूरदास द्वै मैं एकौ तौ न भई -सूरदासध धर्मपुत्र कौं दै हरि राज -सूरदास धोखैं ही धोखैं डहकायौ -सूरदास धोखैं ही धोखैं बहुत बह्यौ -सूरदासन नर तैं जनम पाइ कह कीनो -सूरदास नर देहो पाइ चित चरन-कमल दीजै -सूरदास नहिं अस जनम बारंबार -सूरदास नाथ अनाथनि ही के संगी -सूरदास नाथ सकौ तौ मोहिं उधारौ -सूरदास निपट कपट की छाँड़ि अटपटी -सूरदास निवाहौ बाहँ गहे की लाज -सूरदास नीकैं गाइ गुपालहिं मन रे -सूरदासप पतित पावन हरि -सूरदास पतितपावन जानि सरन आयो -सूरदास पारथ के सारथि हरि आप भए हैं -सूरदास पारथ भीषम सौं मति पाइ -सूरदास प्रभु कौ दखौ एक सूभाइ -सूरदास प्रभु जू बिपदा भली बिचारी -सूरदास प्रभु जू यौं कीन्हीं हम खेती -सूरदास प्रभु जू हौं तो महा अधर्मी -सूरदास प्रभु जू, तुम हौ अंतरजामी -सूरदास प्रभु तेरौ बचन भरोसौ सांचो -सूरदास प्रभु मेरे गुन-अवगुन न बिचारौ -सूरदास प्रभु मेरे मोसौं पतित उधारौ -सूरदास प्रभु मैं पीछौ लियौ तुम्हारौ -सूरदास प्रभु हौ सब पतितनि को टीकौ -सूरदास प्रभु हौं बड़ी बेर कौ ठाढ़ौ -सूरदास प्रभु, तुम दीन के दुख-हरन -सूरदास प्रभु, मोहिं राखियै इहि ठौर -सूरदास प्रीतम जानि लेहु मन माही -सूरदासफ फल फलित होत फल-रूप जानैं -सूरदास फिरि फिरि ऐसोई है करत -सूरदासब बड़ी है राम नाम की ओट -सूरदास बरु मेरी परतिज्ञा जाउ -सूरदास बहुरि की कृपाहू कहा कृपाल -सूरदास बासुदेव की बड़ी बढ़ाई -सूरदास बिचारत ही लागे दिन जान -सूरदास बिनती करत मरत हौ लाज -सूरदास बिरद मनौ वरियाइन छाँड़े -सूरदास बौरे मन रहन अटल करि जान्यौ -सूरदास बौरे मन समुझि-समुझि कछु चेत -सूरदास ब्यास कह्यौ जो सुक सौं गाइ -सूरदास ब्यासदेव जब सुकहिं पढ़ायौ -सूरदास (पिछले 200) (अगले 200)