नर तैं जनम पाइ कह कीनो -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग धनाश्री




नर तैं जनम पाइ कह कीनो?
उदर भन्‍यौ कूकर-सूकर लौं, प्रभु को नाम न लीनो।
श्री भागवत सुनी नहिं स्‍त्रवननि, गुरु गोविंद नहिं चीनो।
भाव-भक्ति कछु हृदय न उपजी, मन विषया मैं दीनो।
झूठौ सुख अपनौ करि जान्‍यौ, परस प्रिया कै भीनौ।
अघ की मेरु बढ़ाइ अधम तू, अंत भयौ बलहीनी।
लख चौरासी जोनि भरमि कै फिरि वाही मन दीनौ।
सूरदास भगवंत-भजन बिनु ज्‍यौं अंजलि-जल छीनौ।।65।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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