देखियत लाल उनींदे भए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


देखियत लाल उनीदे भए।
राजत है रतनारे नैना, मानहुँ नलिन नए।।
पीक कपोल, ललाट महाउर, बंदन बलित खए।
जनु तनु जामैं सध अरुन दल, काम के बीज बए।।
बिनु गुन हार, पयोधर मुद्रा, हृदय सुदेस ठए।
अंजन अधर, सुमंत्र लिख्यौ रति, दीच्छा लेन गए।।
'सूर' स्याम विथुरे कच मुख पर, नख नाराच हए।
ताऊ पर आनंद इंदु जनु, मानहु समर जए।।2634।।

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