रैनि जागे, रति रस पागे, नव तिय संग -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


रैनि जागे, रति रस पागे, नव तिय संग।
आए हौ दहन कत, अटपटे बैन पिय रसमसे नैन तहाँ जाहु रँगे जाके रंग।।
बिनु गुन बनी माल पीक कपोलनि लाल, जावक तिलक भाल, कीन्हे रस बस अंग।
'सूरदास' प्रभु कित रजनी बिहाइ आए, भोर भए मेरै धाम, तुम जीति कै अनंग।।2635।।

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